PACL And Sebi :
जी हाँ पी ए सी ल और सेबी क्या है सच्चाई जिसकी वजह से लाखो लोग बेरोजगार हो गए कितने लोगो को मार दिया गया कितनी गरीब भाई लोग अपना पेट काट काट कर पैसा जमा किये थे लोगो के साथ आज 2 -3 साल से धोखा हो रहा है
सब लोग कम्पनी को दोष दे रहे हो सही पर हम जिस पर विश्वाश कर रहे है यानी कि सेबी इसने तो किसी को आज तक पैसे दिए ही नहीं कम्पनी तो दो साल पहले तक तो पैसा दे रही थी आखिर कम्पनी को बंद किसने कराया सेबी ने जब आप कम्पनी को बंद करा दिए तो हमें कस्टमर के पैसे दो कहाँ से दोंगे ये सेबी जाने क्योकि कम्पनी को बंद कराते समय सेबी ने क्या सोचा था सारी सम्पत्ति हजम करना चाहती है
कुछ विशेष जानकारी :
काले धन पर अंकुश लगाना बहुत अच्छी बात है, अंकुश लगने से देश प्रगति करेगा..
पर सरकार जो कर रही है उसे अाप क्या कहोगे..काले धन पर अंकुश लगाने की अाड़ मे वो गरीबों का शोषण कर रही है। सेबी जिसे सरकार द्वारा अधिकार प्राप्त हैं वो कंपनियों पर अपना शिकंजा कसने के बाद उसकी तमाम सम्पत्तियो को अपने अधीन कर लेती है फिर उन सम्पत्तियो की वैल्यू निकाल कर उस केस को 10-12-15 सालो तक खीचती है..इतने सालो के बाद जब पैसा देने की बात अाती है तो सेबी पुराने वैल्यू के हिसाब से पैसा रिटर्न करती है जबकि उसके पास 2 से 3 गुना पैसा मौजूद रहता है। इस बीच मरता है बेचारा गरीब जिसने अपने खून पसीने से कमाई हुई एक-एक पाई को कंपनी मे जमा करवाया था। कोई गरीब अपनी बेटी की शादी के लिए किसी ने अपनी पढ़ाई के लिए तो किसी ने अपनी ज़रूरत के तहत पैसा जमा करवाया होता है। पैसा ना मिलने के कारण गरीब दर-2 भटकने को मजबूर हो जाता है तथा कुछ लोग अात्म-हत्या कर लेते हैं। मै सरकार से सवाल करता हूँ कि वो एेसी कंपनियों का रजि. क्यो करती है..? यदि रजि. करती भी है तो हर साल या 6माह मे कंपनी का अॉडिट क्यो नही करवाती है…? यदि अाडिट करवाती है तो क्यो 10-12-15 या 25 साल बाद सरकार को होश अाता है कि कंपनी मे काला धन लगा है..?
इससे तो केवल यह प्रतीत होता है कि पहले सरकार कंपनियों को कार्य करने देती है अौर जब देखती है कि कंपनी के पास अच्छा धन एकत्रित हो चुका है फिर वह उसे अपने शिकंजे मे कसना शुरू करती है तथा कंपनी के सारे धन पर, काला धन कह कर अपना अधिकार कर लेती है। इन सारी प्रक्रिया मे बेचारा गरीब मरता है या वो मरता है जिसकी रोज़ी-रोटी छिन जाती है! जो कंपनी को सरकार द्वारा दिया गया रजि0 देखकर कार्य करने अाया था। कंपनियों पर रोक लगने के कारण लाखो लोग बेरोज़गार हो जाते है..उनमे से कुछ अात्म- हत्या कर लेते है कुछ निवेशकों की धमकी से घर छोड़ कर चले जाते है तो कुछ लोग अपनी जीविका चलाने के लिए गलत रास्ता चुन लेते है। एैसे मामलो मे मीडिया भी मौन रहती है…क्यो मीडिया ऐसे मामलो को हाईलाईट नही करती है…? क्यो छोटी से छोटी न्यूज़ को बड़ा करके दिखाने वाली मीडिया का ध्यान इधर नही जाता है…? जबकि ये एक बहुत बड़ा मसला है..।
अत: मै माननीय सुप्रीम कोर्ट से विनम्र निवेदन करता हू कि एैसे मामले का निपटारा जल्द से जल्द किया जाए जिससे कोई व्यक्ति अपनी जान देने पर मजबूर ना हो…